यह तो निश्चित बात है कि स्नान करने से पूरे शरीर का मैल, पसीना, दुर्गंध दूर हो जाती है तथा रक्त संचार ठीक हो जाता है। इससे स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। जब यह सब हो पाता है तो इससे त्वचा सशक्त होती है। यह निखरती है, कोमल व आकर्षक बनती है, सौन्दर्य में लगातार वृद्धि होती रहती है। दर्पण देखकर मन को बेहद प्रसन्नता होती है, क्योंकि अपना रूप जादू सा करने वाला हो जाता है।
जो युवक-युवतियां नियमित तथा सही ढंग से स्नान नहीं करती, वे सुंदर होते हुए भी प्रकृति की ओर से कुरूप हो जाती हैं। धीरे-धीरे उनकी शक्ल देखने को भी मन नहीं करता। उनकी त्वचा का आकर्षण रहता ही नहीं। यदि कम सुंदर महिला भी नियमित स्नान करती है तो उसकी त्वचा में विचित्र सा निखार आ जाता है, जो देखने वालों को मोहित किए जाता है। चकित कर देने वाला रूप पा लेती हैं।
गधी के दूध से स्नान करने वाली हुई हैं विश्व सुंदरियां, वह अपने सौन्दर्य को इसी दूध का उपहार मानती रही हैं.
जो प्रतिदिन नहीं नहाती, उनके शरीर पर केवल मैल ही नहीं जमती, उनसे सिर्फ दुर्गंध ही नहीं आती, रूप ही कुरूप नहीं होता बल्कि वे कई रोगों से भी घिर जाती हैं। उन्हें फोड़ेफंसियां परेशान करते हैं। खाज खुजली दम नहीं लेने देती। रोमछिद्र बंद हो जाते हैं यानी वे पूरी तरह रोगी हो जाती हैं।
जो महिलाएं भिन्न-भिन्न लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भिन्न-भिन्न विधियों से स्नान करती हैं, उनकी इच्छा पूर्ण होती है। वह अपने शरीर के प्रति सतर्क रहन के कारण आकर्षण का केन्द्र बन जाती हैं। लोग उनकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाते, जबकि उनकी सखी सहेलियां उनसे ईर्ष्या करने पर उतर आती हैं। जब चलते-फिरते लोग कम देखते हैं तथा उनके साथ चल रहा उनकी सुंदरी सहेली को अधिक, तब वे भी उसका अनुसरण कर आकर्षण बढ़ाने में लग जाती हैं.