''सावधानी हटी दुर्घटना घटी'' यह वाक्य बसों में या जहां-तहां पढ़ने को मिल जाता है। इसका तात्पर्य हर ऐसी दुर्घटना है जो समाज में घटती रहती हैं। रेप की घटना भी ऐसी ही है। हम समाज को नहीं बदल सकते व्यवस्था को नहीं बदल सकते, अपने राजनेताओं को नहीं बदल सकते किन्तु अपने आप को तथा अपने परिवार को जरूर बदलने का प्रयास कर सकते हैं। ये घटनाएं जो घटती हैं। अपवादों को छोड़कर देखें तो ये यकायक नहीं होती बल्कि हमारी सूझबूझ भी इनसे बचा सकती है। बच्चों को ठीक संस्कार दें तथा उनसे बराबर संवाद बनाये रखें। संस्कार सिर्फ बेटियों को ही नहीं बेटों को भी दें तथा उनसे बात करने का प्रयास करें। इससे एकतरफा प्यार या फिर प्रेम विवाह नाम की जो बिमारियां हैं इनसे बचा जा सकता है। यदि बच्चों को विश्वास में लेंगे तो वे खुलकर बातचीत में बतायेंगे। उनसे बचने के प्रयास के लिए केवल पुलिस पर भी भरोसा ना करें बल्कि अपने मिलने वाले बुजुर्गों से भी सम्बाद रखें। रेप जैसे जघन्य अपराध पर नियंत्रण पाना एकदम संभव नहीं है किन्तु स्वयं बच्चों से सम्वाद करते रहें तो बहुत कुछ किया जा सकता है। यदि बच्चों से माता-पिता बात नहीं कर पाते तो वे सहानुभूति के लिए असमाजिक तत्वों के सम्पर्क में आ सकते हैं। -सप्रग-9897278134