"रतौंधी" क्या है?


तुम में से कई ऐसे भी होंगे, जिन्हें दिन छिपते ही देखने में परेशानी होती होगी। अंधेरा बढ़ने के साथ-साथ यह दिक्कत और भी बढती जाती होगी। जाहिर है ऐसे बच्चे अपने दोस्तों के बीच हंसी के पात्र भी बनते होंगे। दरअसल यह कुछ और नहीं, बल्कि एक प्रकार की बीमारी है, जिसे नाइट ब्लाइंडनेस अथवा रतौंधी कहते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें बच्चों को कम रोशनी अथवा अंधेरे में ठीक से दिखाई नहीं देता। इसे निक्टेलोपिया भी कहा जाता है।


नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव सूदन के अनुसार, हमारे देश में रतौंधी का सबसे बड़ा कारण विटामिन ए की कमी है। नाइट ब्लाइंडनेस को विटामिन ए की कमी का सबसे पहला इशारा समझना चाहिए। इसके अलावा यह किसी खतरनाक बीमारी का संकेत भी हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक विश्व में 13.8 मिलियन बच्चे विटामिन ए की कमी के कारण आंखों की बीमारी के शिकार होते हैं।


भारत में प्रति वर्ष पंद्रह हजार प्री-स्कूल के लिए बच्चे विटमिन ए की कमी के चलते अपनी आंखों की रोशनी खो देते हैं। इसके अलावा जो बच्चे अधिकतर डायरिया का शिकार रहते हैं अथवा जिनका लीवर खराब रहता है, वे भी इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। खसरा से पीड़ित बच्चों को भी इस प्रकार की समस्या अधिक रहती है। यदि अधिक समय तक अनदेखी की जाए तो आंख का कंजक्यइवा सूख सकता है। इसके अलावा कॉर्निया में भी छेद हो सकता है, जिससे आंख पूरी तरह खराब हो सकती है।


डॉ. सूदन बताते हैं, चूंकि नाइट ब्लाइंडनेस का सबसे बड़ा कारण विटमिन ए की कमी है, इसलिए बच्चों को अपने खानपान का अधिक ध्यान रखना चाहिए। खाने में डेयरी प्रोडक्ट्स, अंडा, फिश लीवर ऑयल आदि लेना लाभदायक होता है।


मौसम में आम का उपयोग अधिक से अधिक करना आंखों के लिए अच्छा होता है, क्योंकि आम विटामिन ए का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। इसके अलावा पपीता, ब्रोकली, आडू, पालक, शकरकन्द, तरबूज, रेड कैबेज तथा खुबानी का उपयोग भी भरपूर मात्रा में करना चाहिए। जिंक का उपयोग भी आंखों के लिए फायदेमंद होता है। यह विटामिन ए को लीवर से रेटीना तक पहुंचाता है, जो कि नाइट विजन को इम्प्रुव करने में मदद करता है। पैदा होने के छह महीने के बाद बच्चों के लिए ब्रेस्ट फीडिंग के अलावा सप्लीमेंट फूड शुरू करना भी लाभकारी होता है ।