बहुत पुरानी कहानी है। एक चूहा था। उसके दिमाग में आया कि चूहा होना बहुत गलत है, क्योंकि बिल्लियों से हमेशा खतरा रहता है। 'काश मैं बिल्ली होता।' यह सुनकर ईश्वर को चूहे पर दया आ गई और उसने उसे बिल्ली बना दिया। अब उसे कुत्तों से डर सताने लगा, 'काश, मै कुत्ता होता, तब मै निर्भय होकर घूम सकता था।' ईश्वर ने उसे कुत्ता बना दिया। वह कुत्ता बनकर खूब दूर-दूर तक निर्भय होकर घूमा, लेकिन जब वह जंगल में गया, तो शेर ने उसे दौड़ा लिया। किसी तरह वह बचकर आया और बोला- 'काश मै शेर होता , तब मैं जंगल में भी निर्भय होकर घूमता रहता।' भगवान ने उसे शेर भी बना दिया। वह जंगल में जाकर रहने लगा। पूरा जंगल घूमता रहा। यह देखकर खुश होता रहा कि सारे जानवर उससे डर रहे हैं। लेकिन तभी वहां शिकारी आ गए। उनके तीरों से बचने के लिए उसे गुफा दर गुफा छिपना पड़ा। शेर ने सोचा, 'यह भी कोई जिंदगी है। काश मैं इंसान होता।' इस बार ईश्वर को उस पर दया नहीं आई। भगवान ने उसे फिर से चूहा बना दिया और कहा, 'मैं तुम्हें कुछ भी बना दूं, पर तुम रहोगे चूहे ही।'
कथा मर्म : जो व्यक्ति परिस्थितियों से घबराकर पलायन करता है, उसे कितनी भी सुविधाएं दे दी जाएं, वह हमेशा असंतुष्ट ही रहेगा।