पाइल (बवासीर) से कैसे बचें!


बवासीर मलद्वार पर या गुछा के निचले हिस्से की नसों के फूलने से उपजने वाला रोग है। पाइल्स और हेमेरोयड इसी के दूसरे नाम है। यह कितनी आत है इसका अनुमान इसी से लगा सकता है कि कितने ही नीम-हकीम, फार्मेसियां और झोलाछाप डॉक्टर इसी का इलाज करते-करते अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं।
बवासीर के भुक्त भोगियों की संख्या सचमुच बड़ी है। जीवन के 50 साल पार कर चुका हर दूसरा व्यक्ति बवासीर का रोगी है। शौच के समय मलद्वार से खून जाता है,मगर कोई दर्द नहीं होता। हां, जब कोई फूली हुई नस मलद्वार पर भिंचने लगती है तब अचानक वेदना का पहाड़ टूट पड़ता है।
ज्यादातर मामलों में पूरे फसाद की जड़ लंबे समय से चली आ रही कब्ज होती है, जिसके कारण गुदा और मलद्वार की नसों पर जोर पड़ता है और वे फूल जाती हैं और उन से खून जाने लगता है। गर्भवती महिलाओं में बढ़ते गर्भ के दवाब के कारण भी यह कठिनाई खड़ी हो सकती है। बुजुर्ग पुरूषों में प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने पर लघुशंका के समय जोर लगाने की बाध्यता होने से भी बावसीर पैदा हो सकती है। जरूरत से ज्यादा वजनी शरीर और घंटों-घंटों बैठे रहने की चर्या भी बवासीर को न्यौता देते हैं। कई परिवारों में यह रोग वंशानुगत तौर पर भी होता है। माता-पिता में से एक, भाई-बहन सभी एक साथ इसके चंगुल में होते हैं।
खास-खास लक्षण-
शौच जाने पर निवृत होने के बाद मलद्वार से ताजा खून जाना बवासीर का पहला लक्षण है। साथ ही मलद्वार से सफेद रंग का डिसचार्ज भी जा सकता है और उस क्षेत्र मे ंखुजली हो सकती है। धीरे-धीरे शौच के समय फूली हुई शिराएं मलद्वार से बाहर आने लगती हैं। रोग पुराना पड़ने पर नीचे की ओर जरा-सा जोर लगाते ही ये शिराएं मलद्वार से बाहर आने लगती हैं। शुरू में ये अपने से ही अंदर चली जाती हैं। लेकिन फिर कुछ लोगों में ये हर समय ही बाहर रहने लगती हैं। यह स्थिति कष्टप्रद होती है।
बवासीर के ज्यादातर रोगियों को खून जाने के समय कोई दर्द नहीं होता। अगर किसी समय दर्द होने लगे तो तुरंत डाक्टर से सलाह लेने में ही समझदारी है।


ये भी पढ़िए-


बवासीर (पाइल) का सरल इलाज


https://dhartikgod.page/article/bavaaseer-pail-ka-saral-ilaaj/zx-yky.html 


सरल निदान-
मुनासिब यही है कि बवासीर के लक्षण दिखने पर किसी सर्जन से परामर्श लें।
लापरवाही से उपतजी समस्याएं-
बवासीर को नजरअंदाज करना बड़ी समस्याओं का द्वार खोलने जैसा है। मलद्वार से बार-बार रक्तस्राव होने से देखते ही देखते शरीर में खून की कमी हो जाती है। कभी-कभार यह रक्तस्राव इतनी अधिक मात्रा में होता है कि स्थिति अचानक गंभीर हो जाती है।