लखनऊ रेलवे स्टेशन पर आप जैसे ही उतरते हैं तो प्लेटफॉर्म पर एक बोर्ड दिखता है, 'जरा मुस्कुराइए कि यह शहर लखनऊ है।' शायद ही किसी की निगाह से यह बोर्ड बचता हो और लगभग सभी यात्रियों के चेहरे पर अचानक हल्की सी मुस्कुराहट आ जाती है, जो पूरे सफर की थकान एवं तनाव को कुछ हद तक दूर कर देती है। मुस्कुराहट का यह जादू जीवन के विविध आयामों में भी लगातार चलता है। स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय फ्रेंक के अनुसार मुस्कुराते चेहरे वाले लोग अन्य लोगों की अपेक्षा ज्यादा स्वस्थ रहते हैं। उनमें रोगों से लड़ने की ताकत औरों की अपेक्षा ज्यादा होती है। वे निर्णय भी जल्दी ले पाते हैं। हां या ना के चक्कर में तनाव नहीं लेते। कई चिकित्सकीय सर्वेक्षणों और शोध में दावा किया गया है कि हंसना-मुस्कुराना तथा खुलकर ठहाके लगाना इंसान के लिए बहुत ही लाभदायक है।
रामबाण है यह दवा :
हंसी हमारे दिल को मजबूती देती है। जब भी हम हंसते हैं तो इसका असर हमारी धमनियों पर पड़ता है। एक रिसर्च में कॉमेड़ी शो और ड्रामा देख रहे लोगों की धमनियों का अध्ययन किया गया। रिसर्च के मुताबिक उन लोगों की धमनियों में खून का प्रवाह कम था जो लोग ड्रामा देख रहे थे जबकि जो लोग कॉमेडी शो देख रहे थे उनकी धमनियां काफी खुली हुई थी और उनमें खून का प्रवाह अच्छे से हो रहा था। एक पुरानी कहावत है 'लॉफ्टर इज द बेस्ट मेडिसिन' अर्थात हंसना स्वास्थ्य के लिए बेहतर दवा का काम करता है। हमारे देश में लगभग 10 हजार लाफ्टर क्लब इस कहावत के पीछे छिपे सत्य को साबित कर चुके हैं। योग गुरू जीतेन कोहली के अनुसार डिप्रेशन और तनाव से जूझ रहे लोगों के लिए हास्य क्लब किसी चमत्कार से कम नहीं है।
मुस्कान वही जो दिल से हो :
इंदौर के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. दीपक मंशारमानी का कहना है कि मुस्कराने से व्यक्ति के आचरण पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। खास बात यह है कि यह प्रभाव दिल से निकली मुस्कुराहट से ही पड़ता है। झूठी मुस्कुराहट का कोई असर नहीं पड़ता और सामने वाला व्यक्ति समझ भी जाता है कि यह मुस्कुराहट झूठी है। मुस्कुराने से जो लोग आस-पास होते है, उन पर हमारे व्यक्तित्व का उत्साहवर्धक प्रभाव पड़ता है। हमारे मुस्कुराने से आस-पास का पूरा वातावरण खुशनुमा बना रहता है। मुस्कुराने से हमारी लोकप्रियता का दायरा बढ़ता है। इससे हम स्वयं भी कभी डिप्रेस नहीं होते।
बढ़ता है चेहरे का नूर :
किसी बच्चे की छोटी-सी शरारत ठहरे हुए वक्त को भी चलना सिखा देती है। सही मायनों में जिंदगी का फलसफा भी यही होता है। यही फलसफा मन के बोझ को हल्का कर देता है और तब दिल के जज्बात नूर बनकर चेहरे पर खिल जाते हैं। किसी भी जगह हो, मुस्कुराता चेहरा सभी के आकर्षण का केन्द्र होता है। कहा भी जाता है कि डॉक्टर का हंसता चेहरा मरीज की आधी बीमारी ठीक कर देता है।
मिलती है लोकप्रियता :
खुशमिजाजी आपको उत्साह से भरपूर तो रखेगी ही। साथ ही लोगों को भी आपका साथ अच्छा लगेगा। जिंदादिल व्यक्ति समाज के लिए भी कुछ कर सकने की स्थिति में रहता है। खुशमिजाजी उससे हर कठिन काम आसानी से करवा देती है। अमेरिकी शिक्षाविदों और मनोवैज्ञानिकों ने मानव प्रकृति पर जो शोध किए वे बड़े चौंकाने वाले हैं। उनका मानना है कि मुस्कुराते चेहरे जल्दी ही अपनी पहचान बना लेते हैं। लोग आपके इस अनोखे अंदाज से प्रभावित होने के कारण आपको विशेष सम्मान का हकदार बनाते हैं।
खोलें खुशियों की पोटली :
अगर आप खुश रहेंगे तो आप स्वस्थ्य रहेंगे। छोटी-सी बात का बतंगड़ बनाकर उस पर झगड़ा बनाकर उस पर झगड़ा करना अक्लमंदी का काम नहीं हैं। हमारी तरफ से कौशिश यही होनी चाहिए कि हमसे कोई ऐसा कदम न उठे जो जटिलताओं में वृद्धि करे। समाज के लिए भले ही हम ज्यादा कुछ न करें पर अपने परिवार और जाने-अनजाने लोगों के लिए थोड़ी बहुत तो खुशियां बिखेर ही सकते हैं।
दुख बांटने की डालें आदत :
जब भी आप किसी से मिले तो बड़ी आत्मीयता से मिलें। बाचचीत के दौरान कटु वार्तालाप न करें। तहजीब का पूरा ध्यान रखें। बच्चों की मासूम हरकतों पर तो जीभर कर हंसे। इन्हीं आदतों से आप सभी को अपने से बांध पायेंगे। आपके मित्रों की संख्या बढ़ेगी। दोस्ती ज्यादा मजबूत होगी। दूसरों की परेशानी का ध्यान रखें। उस पर बराबर चर्चा करके उन्हें परेशानी से मुक्त कराने में सहयोग दें। आपके सुख-दुख में यह दोस्ती आपको एहसास भी नहीं होने देगी कि आप मुसीबत में हैं। दोस्ती निभाना कोई कठिन काम नहीं है। आपका धैर्य और समझदारी ऐसी ही दोस्ती की नींव है।
मकसद यही है जीवन का :
भगवान ने हमें धरती पर अच्छे काम करने के लिए ही भेजा है। मुस्कुराहट बांटना उनमें से एक है। कोई भी चीज बांटने से कभी कम नहीं होती, वह बढ़ती ही है। ऐसा भारतीय शास्त्रों में कहा गया है। फिर मुस्कुराहट का तो कहना ही क्या। मुस्कुराहट से आप किसी को सिर्फ खुश ही नहीं करते बल्कि किसी की पीड़ा भी कुछ देर के लिए कम कर सकते हैं। मुस्कुराने में कुछ भी नहीं लगता। सिर्फ मन की प्रेरणा और होठों की हरकत लगती है। ऐसा लग सकता है कि यह एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है लेकिन ऐसा है नहीं। जब तक मन में उल्लास, खुशी और दूसरों का दुःख दूर करने की इच्छा न हो तब तक होठों पर हंसी नहीं आयेगी।
जाहिर में मुस्कुराकर आदमी अपने आप में भी बड़ा बनता है। इसके लिए उसको कोई बड़े-बड़े ग्रंथ नहीं पढ़ने पढ़ते। तो मुस्कुराइए और बिना पैसे का जादू चलाते रहिए।