नाम -सलीम, उम्र 3२ साल, पेशा-चोरी। तकरीबन छह महीने पहले चोरी करते हुए पकड़ा जाता है। इसी के साथ हर चोरी को चुनौती मान कर सफल होने पर आनन्दित होने वाला करीम अब कुछ सवालों से जूझ रहा है। बेशक चोरी उसे रोमांचित करती रही है लेकिन मन के किसी कोने में उलझन बैठी है जो उससे पूछ रही है कि वह चोरी क्यों करता है। वह ऐसा क्यों बन गया।
मनोचिकित्सकों ने इन सवालों का हल खोज निकाला है। उनकी मानें तो चोरी करने वाले लोगों के मस्तिष्क की कुछ खास गतिविधियां एक जैसी पाई जाती है। अधिकाश चोरों के मस्तिष्क के अगले हिस्से में विकार पाया जाता है। ये विकार जिस हिस्से में पाया जाता है उसे फ्रंटल लोब कहा जाता है। सामान्य व्यक्ति के मस्तिष्क में सबसे सक्रिय अंगों में फ्रंटल लोब एक है। चोरी करने वाले व्यक्ति के मस्तिष्क में यह फ्रंटल लोब काफी निष्क्रिय दिखाई देता है। लेकिन, योजना बनाने के वक्त ये हिस्सा काफी सक्रिय हो जाता है। वैसे यह भी सच है कि महज दिमागी कमजोरी के कारण ही कोई चोरी नहीं करता। कई बार बचपन में की आदत भी जिम्मेदार होती है। कुछ में चोरी करने का ऑबसेशन होता है, जिसके कारण ये दिन-रात नई-नई योजना बनाते हैं और उन्हें बड़े फिल्मी अंदाज में क्रियान्वित करते हैं। इतना ही नहीं ये अपना बचाव पहले ही कर लेते हैं, जिसकी वजह से ये जल्दी नहीं पकड़े जाते। यदि वे कभी पकड़े भी जाते हैं तो इन्हें परिणाम की परवाह कुछ में चोरी करने का नहीं होती।