पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन होने की संभावना दोगुनी होती है और वे किसी भी उम्र में इसकी शिकार हो सकती हैं। डिप्रेशन से पीड़ित महिला अकसर उदास रहती है। उसका मूड भी काफी खराब रहता है। इसमें मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर, बायपोलर मूड डिसऑर्डर प्रमुख हैं। मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर में ध्यान एकाग्र करने में परेशानी होती है, आत्मसम्मान में कमी, थकान या ऊर्जा में कमी महसूस होती है। वहीं, बायपोलर मूड डिसऑर्डर में व्यक्ति को जल्दी गुस्सा आता है और वह चिड़चिड़ा महसूस करता है। पर, वह इस बात से इंकार करता है कि उसे कोई समस्या है।
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कहीं आप डिप्रेशन में तो नहीं रहते?
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महिलाओं की जिंदगी की कछ घटनाओं के कारण उन्हें डिप्रेशन होने की आशंका ज्यादा होती है। इन कारणों में यौवनावस्था में प्रवेश करना, प्रेगनेंसी, मेनोपॉज, किसी तरह का शोषण, संबंधों से जुड़े तनाव आदि प्रमुख हैं। डिप्रेशन के कारण इन महिलाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति भी देखने को मिलती है। एक ताजा शोध के अनुसार यदि भाई-बहन या पेरेंट्स में से किसी को डिप्रेशन की समस्या है, तो महिला को यह परेशानी होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा महिलाओं में डिप्रेशन के 80 प्रतिशत से ज्यादा मामले किसी तरह के शोषण का परिणाम रहे हैं। अक्सर, बचपन में हुए शारीरिक और मानसिक शोषण के बारे में हम किसी को बताने से हिचकते हैं और इसी का नतीजा बड़े होकर डिप्रेशन के रूप में सामने आता है।
कैसे करें उपचार की शुरुआत-
अवसाद के उपचार हेतु कई तरीके उपलब्ध हैं। सबसे पहले किसी मनोचिकित्सक से मिलें। इसके बाद अवसाद के स्तर के मुताबिक ही डॉक्टर से ट्रीटमेंट लें। अवसादग्रस्त व्यक्ति की परेशानी को दूर करने के लिए कई तरह की थेरेपी इस्तेमाल होती हैं, जो बातचीत पर आधारित होती हैं। उदाहरण के लिए बिहेवियरथेरेपी, ग्रुप थेरपी, साइकोडायनेमिक थेरेपी और फैमिली थेरेपी - इत्यादि। इलाज के लिए कई दवाएं भी हैं, जो दी जा सकती हैं लेकिन अनिवार्य नहीं होती। इनके अलावा उच्च आत्मविश्वास, स्थितियों से निपटने का कौशल, लक्ष्य बनाकर काम करने, किसी खेल या हॉबी जैसे टेनिस, फोटोग्राफी आदि को समय देने, सकारात्मक सोच रखने वाले लोगों के साथ समय बिताने आदि से भी अवसाद की स्थिति से बाहर निकलने में मदद मिलती है।