शायद यह बात आपको हैरत में डाल दे कि बॉलीवड की रानी ऐश्वर्या राय और हॉलीवड क्वीन एंजलीना जोली एक ही पुरखे की वंशज हैं। पिछले वर्षों में हुए वैज्ञानिक अध्ययन का तो कम से कम यही निष्कर्ष है। अध्ययन बताता है कि पूरी दुनिया में नीली आंखों वाले एक ही मूल पुरखे की संततियां हैं, जो करीब 10 हजार वर्ष पहले काला सागर क्षेत्र में रहा करता था।कोपनहेगन युनिवर्सिटी में हुए एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि पूरी दुनिया में नीली आंखों वाले 99.5 प्रतिशत से ज्यादा लोगों में इस गुण को पैदा करने वाला जेनेटिक उलटफेर (म्यूटेशन) बिल्कुल एक जैसा है। अध्ययन में दुनिया भर के विभिन्न वर्ण व जातीय समूहों के 800 नीली आंखों वाले लोगों के डीएनए का विश्लेषण किया गया। इन सभी के डीएनए में आंखों को रंग प्रदान करने वाले जीन अनुक्रम में एक जैसा बदलाव पाया गया।
अध्ययन दल के मुखिया प्रो. हान्स आईबर्ग के मुताबिक उन्होंने स्केंडीनेविया, जॉर्डन और टर्की से सुदूर एशिया तक काले, गोरे व भूरे रंग के, काले-सफेद व लाल बालों तथा विभिन्न मुखकृतियों वाले ऐसे लोगों के डीएनए सेंपल जुटाए जिनकी आंखों का रंग नीला था। प्रो. आईबर्ग कहते हैं, 'संभवतः एक अपवाद को छोड़कर सभी नमूनों में ओसीए-2 जीन क्षेत्र में बेस अनुक्रम बिल्कुल एक जैसा पाया गया।' उक्त जीन क्षेत्र आदमी की आंखों के रंग का निर्धारण करता है। यानी पुख्ता तौर पर यह कहा जा सकता है कि सभी नीली आंखों वाले एक ही मूल पुरुष की संतानें हैं। प्रतिष्ठित विज्ञान शोध पत्रिका 'ह्यूमन जेनेटिक्स' में प्रकाशित इस शोधपत्र में कहा गया है कि कभी जेनेटिक म्युटेशन के परिणामस्वरूप किसी एक व्यक्ति की आंखों का रंग नीला हो गया होगा और उसकी संतानों ने इस आनुवांशिक गुण को दुनिया के दूसरे हिस्सों तक पहुंचाया। प्रो. आईबर्ग के अनुसार दुनिया भर के तमाम नीली आंखों वालों की जीन में पाया जाने वाला एक निश्चित स्विच उन्हें यह विशिष्ट गुण देता है और यह बात उनके एक पूर्वज का वंशज होने का अकाट्य सबूत है। हालांकि वैज्ञानिक नीली आंखों वाले जेनेटिक म्युटेशन के घटित होने का सटीक समय नहीं बता पाए हैं, लेकिन उपलब्ध साक्ष्यों से ऐसा प्रतीत होता है कि यह लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व हुआ होगा। वह वही वक्त है जब मध्य-पूर्व में खेती के विस्तार के परिणामस्वरूप यूरोप में मानव बस्तियों का तेजी से प्रसार हुआ था।
साभार-हिन्दुस्तान 01 फर0 2008