आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के शिकार लोगों को जल्दी सांस फूलने, थकावट, पीला पड़ने, सुस्ती, बच्चों का पढ़ाई लिखाई में मन न लगना, कमजोर मांसपेशियां, बार-बार बीमार पड़ना, ज्यादा ठंड लगना, पेट गड़बड़ाना, धीमा विकास, तेज हृदय गति जैसी शिकायतें होती हैं।
एनीमिया का मतलब है रक्त में हीमोग्लोबिन का कम होना। हीमोग्लोबिन (रक्त में प्रोटीनधारक ऑक्सीजन) का स्तर डाइट में कई तरह की पौष्टिकताओं की कमी के कारण गड़बड़ा जाता है। खान-पान संबंधी एनीमिया का आम कारण आयरन, फोलिकएसिड, विटामिन बी-1 और 2 तथा विटामिन-सी का स्तर घटना है। आयरन की कमी दुनिया भर में पाई जाने वाली आम समस्या है। दुनिया में लगभग एक अरब लोग इसके शिकार हैं।
एनीमिया की शिकायत किशोरों और युवा महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है। यही वह समय होता है जब इन्हें आयरन की ज्यादा जरूरत होती है।
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भारत में 60 से 70 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं पौष्टिकता संबंधी एनीमिया की शिकार हैं। यह बीमारी पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में होती है। जंकफूड, कम भोजन करने वाले और बुजुर्ग व्यक्ति भी इसके शिकार हो सकते हैं। बुजुर्गों में आयरन की कमी एंटासिड के ज्यादा इस्तेमाल के कारण होती है।
आयरन की कमी सही प्रकार के भोजन का चयन न कर पाने से जुड़ी है। आयरन की स्थिति सुधारने के लिए ध्यान में रखना चाहिए कि भोजन में आयरन के तत्व हों, यह आयरन किस प्रकार का है, उस आयरन को हजम करने के लिए क्या किया जाए और भोजन में ऐसे कौन से तत्व हैं जो पौष्टिकता को मार देते हैं।
आयरन युक्त भोजन में मीट, पोल्ट्री, फिश, हरे पत्ते वाली सब्जियां जैसे पत्ता गोभी, सरसों का साग, मूली के पत्ते, चैलाई, कमल ककड़ी, काला चना, सोयाबीन, तरबूज, खजूर आते हैं।
आयरन की मात्रा हम जो लेते हैं वह दरअसल काफी ऊंचे दर्जे की होती है। आयरन को हजम करने की स्थिति दरअसल इस तथ्य पर निर्भर करती है कि हमें आयरन कहां से मिला-पशु भोजन से या पेड़-पौधों से।
पशुओं से मिले भोजन का आयरन हमारा शरीर पेड़-पौधों से मिले आयरन से जल्दी हजम होता है। आयरन को यदि विटामिन-सी जैसे खट्टे फल (संतरा, नींबू, अमरूद), आंवला, अंकुरित दालें, टमाटर और गोभी के साथ लेते हैं तो वह दो से तीन गुना समय जल्द हजम हो जाता है।