आजकल की इस भागदौड में पढ़ते-पढ़ते, दफ्तर में लगातार कम्प्यूटर पर काम करते, ड्राइव करते, या कुछ भी करते हुए थकने लगता है। इसका एक बहुत बड़ा कारण है कि समय पर आराम न करना है। हम प्रतिदिन टी.वी. के सामने दो-दो घंटे बिता देते हैं, मगर शरीर के ऊपर थोड़ी भी मेहनत नहीं करते। यदि कोई भी व्यक्ति सप्ताह में पांच दिन आधा-आधा घंटा योग कर ले तो थकावट उससे कोसों दूर रहेगी। खानपान और जीवनशैली के साथ योग को जोड़कर हम रोगों और थकान से बच सकते हैं। आहार में शुद्ध सात्विक खाना खाएं। मौसमी हरी सब्जियों एवं फलों का सेवन करें। पानी का आधिकाधिक मात्रा में सेवन करें।
योगासन-ताड़ासन, त्रिर्यक ताड़ासन, त्रिकोणासन, पादहस्तासन, प्रसारित पादहस्तासन, खंजनासन, उत्कटासन, शलभासन, मकरासन, धनुरासन, पार्श्वधनुरासन, भुजंगासन एवं गर्दन की अकड़न को दूर करने के लिए गर्दन की क्रियाएं करें।
उष्ट्रासन की विधि-
अष्ट्र का अर्थ ऊंट होता है।
सर्वप्रथम किसी दरी पर कम्बल पर वज्रासन में बैठ जाएं। कुछ लम्बी सांस लें और छोड़ें। अब दोनों हथेलियों को दोनों जंघाओं पर रखें, रीढ़ को बिल्कुल सीधा रखें और पसलियों को ऊपर की ओर खींचे। धीरे-धीरे घुटनों के ऊपर खड़े हो जाएं। दायीं हथेली को सिर के पीछे से लाकर दाएं पैर की एड़ी पकड़ें और बायीं हथेली दायीं हाथ से बाकी एडी पकड़ें। ध्यान रहे कि दोनों घुटनों एवं पैरों में 6 इंच से 12 इंच का फासला रहे। अब नितम्बों को थोड़ा संकुचित करें और गर्दन को पीछे की ओर तानें। जंघा को सीधा रखें। सामान्य श्वासों के साथ आधा मिनट से एक मिनट तक इसी अवस्था में रुकें। हाथों को एक-एक कर हटाएं और उन्हें जंघा पर रखें। बाद में जमीन पर बैठकर विश्राम करें। इन आसनों को जितनी भी बार आप कर सकते हैं।
प्राणायाम-शरीर में रक्त का संचार और शरीर की ऊर्जा की पुनप्राप्ति के लिए नाड़ी शोधन प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास अवश्य करें।
विश्राम-आसन और प्राणायाम करने के बाद 15 मिनट योगनिद्रा, शवासन या शिथिलीकरण का अभ्यास अवश्य करें। क्योंकि, विश्राम करने से आपकी मांसपेशियों को आराम मिलता है।