कॉस्मोलॉजी खगोल विज्ञान की एक शाखा है, जिसमें ब्रह्मांड से जुड़ी तमाम बातों का अध्ययन किया जाता है। इसमें ब्रह्मांड के बनने की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दी जाती है। बीसवीं शताब्दी में आए वैज्ञानिक बदलावों ने वैज्ञानिकों की ब्रह्मांड के बारे में दिलचस्पी बढ़ा दी। वैज्ञानिक उससे जुड़े तमाम रहस्यों को तलाशने लगे। यह बीसवीं शताब्दी में कॉस्मोलॉजी के बारे में बढ़ती जिज्ञासा का ही प्रतिफल था कि वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड की उत्पत्ति से जुड़ी बिंग बैंग थ्योरी दे डाली।
कॉस्मोलॉजी की शुरुआत एक तरह से आईस्टीन के सापेक्षकता सिद्धांत के बाद से मानी जाती है। उससे पूर्व ब्रह्मांड के शुरुआत और अंत के बारे में कोई निश्चित धारणा नहीं थी। आइंस्टीन ने कहा कि ब्रह्मांड में कुछ मैटर है। इसी सिद्धांत के आधार पर फ्रेडमेन ने अपनी थ्योरी दी जिसमें कहा कि ब्रह्मांड फैल रहा है या सिकुड़ रहा है, 1927 में जॉर्ज लेमेत्री ने बिग बैंग थ्योरी देकर फ्रेडमेन के सिद्धांत की पुष्टि की। इसके बाद हबल के कॉस्मोलॉजिकल सिद्धांत ने बिग बैंग थ्योरी और फ्रेड के गैलेक्सी के नियम को आधार प्रदान किया।
1965 में माइक्रोवेव की खोज और ब्रह्मांड की उत्पत्ति के नियम के बाद इस बात को माना जाना लगा कि वह फैल रहा है। माइक्रोवेव की खोज के दौरान यह बात भी सामने आई कि ब्रह्मांड के 25 प्रतिशत हिस्से में डार्क मैटर है तो महज 4 प्रतिशत को ही देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों ने भी इस बात को माना कि विस्फोट से पहले ब्रह्मांड सिकुड़ा हुआ था। कॉस्मोलॉजी की स्टैंडर्ड थ्योरी के अनुसार ब्रह्मांड को विभिन्न समय में बांटा जा सकता है। इन्हें इपोस कहते हैं ।
मोटे तौर पर कहा जाए कि फिजिकल कास्मोलॉजी के माध्यम से ब्रह्मांड के बड़े ऑब्जेक्ट मसलन गैलेक्सी, क्लस्टर और सुपरक्लस्टर के बारे में जानकारी मिलती है।
कॉस्मोलॉजी की मदद से ब्लैक होल के बारे में जानने में मदद मिली। कॉस्मोलॉजी से यह भी देखा गया कि भौतिकी के नियम ब्रह्मांड में हर जगह समान हैं या नहीं।