डिप्रेशन या अवसाद एक मानसिक रोग है जिसमें मरीज उदासी. अस्थिरता, अकेलापन, निराशा व पछतावा महसूस करता है। रोगीको ऐसा महसूस होता है कि उसकी जरूरत किसी को नहीं है और वह सबके ऊपर बोझ है। डिप्रेशन से पीड़ित लोगों का मूड भी काफी खराब रहता है। छोटे से छोटा काम पूरा करना भी उन्हें महाभारत-सा मुश्किल लगता है। छोटी-सी बात पर भी परेशान हो जाना इसका सामान्य लक्षण है।विभिन्न शोधों से पता चलता है कि अवसाद के पीछे जैविक, आनुवांशिक व मनोसामाजिक कारणों की एक मजबूत और जटिल पारस्परिक क्रिया होती है। कोई अपने किसी नजदीकी व्यक्ति की मौत पर अवसाद का शिकार हो जाता है, तो कोई गंभीर बीमारी होने पर। इसक अलावा बायोकेमिकल असंतुलन के कारण भी डिप्रेशन का शिकार हो सकता है। मस्तिष्क में मौजद रसायन, तंत्रिकाओं द्वारा संदेश भेजने में अहम भूमिका निभाते हैं। जब इन रसायनों में असंतुलन पैदा होता है तो संदेश ठीक से प्रेषित नहीं हो पाता, इसलिए दिमाग कुछ अलग तरीके से काम करने लगता है। ये सब अवसाद के ही लक्षण हैं। उदाहरण के लिए नोरेपाइनफ्राइन नामक रसायन हमारे दिमाग में चौकन्नेपन व उत्तेजना को नियंत्रित करता है। यदि यह असंतुलित हो जाए, तो थकान और उदासी हो जाती है जो बीमारी का लक्षण हैं। अवसाद का शिकार व्यक्ति अपने बारे में हमेशा नकारात्मक बातें सोचता रहता है। वह अपने नकारात्मक चश्मे से ही दुनिया को देखना चाहता है। कुछ समय के लिए ऐसी सोच सामान्य है, किंत यदि सोच लगातार बनी रहे तो, एक्सपर्ट की मदद की आवश्यकता होती है।
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मरीज की दैनिक गतिविधियों और स्वास्थ्य पर भी डिप्रेशन का असर पड़ता है। डिप्रेशन के कारण मूड ठीक रखने वाले सेरोटोनिन हारमोन का स्तर खून में कम हो जाता है और इसके कारण धमनियों में खून जमने की आशंका बढ़ जाती है। इससे हृदय और मस्तिष्क को भी भारी खतरा उत्पन्न हो सकता है। अवसाद और मधुमेह से पीड़ित लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियां, अंधापन और मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है।
कैसे करें उपचार की शुरुआत-
अवसाद के उपचार हेतु कई तरीके उपलब्ध हैं। सबसे पहले किसी मनोचिकित्सक से मिलें। इसके बाद अवसाद के स्तर के मुताबिक ही डॉक्टर से ट्रीटमेंट लें। अवसादग्रस्त व्यक्ति की परेशानी को दूर करने के लिए कई तरह की थेरेपी इस्तेमाल होती हैं, जो बातचीत पर आधारित होती हैं। उदाहरण के लिए बिहेवियरथेरेपी, ग्रुप थेरपी, साइकोडायनेमिक थेरेपी और फैमिली थेरेपी - इत्यादि। इलाज के लिए कई दवाएं भी हैं, जो दी जा सकती हैं लेकिन अनिवार्य नहीं होती। इनके अलावा उच्च आत्मविश्वास, स्थितियों से निपटने का कौशल, लक्ष्य बनाकर काम करने, किसी खेल या हॉबी जैसे टेनिस, फोटोग्राफी आदि को समय देने, सकारात्मक सोच रखने वाले लोगों के साथ समय बिताने आदि से भी अवसाद की स्थिति से बाहर निकलने में मदद मिलती है।