जिसको देखो मयकदा कि सिम्मत भागा आए है
किस-किस का गम करेगी दूर वेचारी शराव।
जो असीरे गम हुआ उसको तो अकसर चाहिए
जिसको कोई गम नहीं उसको भी सागर चाहिए
जिसको इक कतरा मिला उसको समुन्दर चाहिए
एक नाजुक-सी परी झेलेगी कितनों के अजाव
किस-किस का ग़म करेगी दूर वेचारी शराब।।
राह तकता होगा कोई दिल का नजराना लिए
जुल्फ़ में मस्ती लिए होंठों पे पैमाना लिए
प्यास आंखों में लिए आंचल में मैखाना लिए
मयक़दा की राह छोड़ो घर चलो आली जनाव
किस-किस का गम करेगी दूर बेचारी शराव।।
जिसको देखो मयक़दा की सिम्मत भागा आए
किस-किस का गम करेगी दूर वेचारी शराव
पीने को बहकते देख कर शरमाए है
किस-किस का ग़म करेगी दूर बेचारी शराव
-जफ़र गोरखपुरी