हंसते मुस्कराते हुए जीवन जियें!


इनीसन ने कहा है, जब व्यक्ति दुखों का सामना करने से डर जाता है और रोने लगता है, तो मुसीबतों का ढेर लग जाता है, और जब वही व्यक्ति मुस्कराने लगता है, तो मुसीबतें सिकुड़ने लगती हैं।
फ्लेंडस निवासी गोल्डस्मिथ ने एक ऐसे प्रसन्नचित व्यक्ति को खोज निकाला, जैसा उन्होंने जीवन में कभी नहीं देखा था। वह एक गुलाम था, जंजीरों में जकडे़ रहना उसकी नियति थी, लेकिन वह अपने चेहरे पर शिकन तक नहीं आने देता था। वह सुबह से शाम तक गुनगुनाता रहता। सारी पीड़ाओं को पीते हुए जीवन को हंसकर जीने की उसकी यह कला सिखाती है कि किसी कारण से उदासी भरा जीवन यदि जीना भी पड़ जाए, तो उसे भी किस प्रकार खुशियों का रंग देकर जीना चाहिए। साफ है, जीवन यदि फूल है, तो कांटे भी उसी में निहित हैं। दुख-सुख का नाता मानव के संपूर्ण जीवन से बंधा हुआ है। जीवन में कष्टों का वही महत्व है, जो फूलों के साथ कांटो का है। सुख-दुख जीवन का अनिवार्य हिस्सा है, इसीलिए व्यक्ति को उस प्रसन्नचित गुलाम की तरह जीवन में हर परिस्थिति का मुस्कराकर स्वागत करना चाहिए। जब व्यक्ति सुख को खुशी-खुशी भोगता है, तो दुख को हंसते-हंसते क्यों नहीं?
मानव जीवन में संकट की घड़ियां अवश्य आती हैं। वेद कहते हैं, जिस समय समस्याओं का बोझ सिर पर हो, दुख की लकीरें मन को पीड़ित कर रही हों और चारों तरफ अंधेरा हो, तब भी संतुलन न बिगाड़ते हुए, स्वयं को कमजोर न करके, हंसते-गाते हुए जीवन की गाड़ी आगे बढ़ाएं।