हाई ब्लड प्रेशर एक आम बीमारी बन गई है। यह सभी वर्ग, धर्म, व्यवसाय के लोगों में ये पाया जाता है। कम आयु के लोग भी अब इसकी चपेट में आ रहे हैं। इसके कई कारण हैं. किंतु समुचित उपचार के अभाव में यह खामोश हत्यारा शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर उन्हें है खोखला कर देता है।
पहले 50 वर्ष की आयु के बाद यह बीमारी होती थी किंतु अब यह बीमारी बेकाबू है। सिर में दर्द बना रहना, सांस लेने में तकलीफ होना जैसे प्रारंभिक लक्षण इसके संकेत हैं।
क्यों बढ़ता है बी.पी.-
तनाव, शरीरगत खामी, खानपान में विसंगति, मोटापा, वंशानुगत जैसे कारणों के चलते इस बीमारी को घर बनाने का मौका मिलता है। नमक की अधिकता, पोटेशियम का अभाव भी कारण बनता है। हाई ब्लड प्रेशर के बने रहने पर हृदय व गुर्दा प्रभावित हो जाते हैं। ऐलोपैथी में कुछ दवाएं ऐसी भी हैं जो बीपी बढ़ाती हैं। गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था के 24वें सप्ताह बाद यह सामने आता है। इससे गर्भ के बच्चे के विकास में दिक्कत आ सकती है।
हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण-
सिर में तेज दर्द
आंखों के आगे धुंधला छाना।
पेट में दर्द तथा घबराहट महसूस होना।
सीने में जलन होना।
हाथों तथा चेहरे पर सूजन बढ़ना।
इस लेख को भी देखें- हाई ब्लड प्रेशर कैसे नियंत्रित करें !
https://dhartikgod.page/article/haee-blad-preshar-kaise-niyantrit-karen-/bdiFT7.html
बीपी चेक कराने के पूर्व-
30 मिनट पहले काफी या सिगरेट का सेवन न करें।
छोटी बाजू वाले कपड़े पहनें।
बी.पी. चेक कराने से पहले टायलेट जाएं।
डाक्टर के पास 5 मिनट शांति से बैठे, फिर बीपी चेक कराएं।
हमेशा कुर्सी पर पीछे की ओर कमर टिका कर बैठे।
कुर्सी के हत्थे पर दिल की सीध में अपना -बाजू टिकाएं।
एक ही बार की जांच हाई ब्लड प्रेशर मरीज की घोषणा के लिए पर्याप्त नहीं है। कई बार की जांच के बाद यह तय होता है.
सभी तनाव से मुक्त होकर शांति के साथ बीपी की जांच कराएं।
कई बार डाक्टर के पास पहुंचने पर बीपी बढ़ जाता है।