उम्र बढ़ने पर त्वचा की चिकनाई कम होने लगती है। इस कारण झुर्रिंया पड़ने लगती हैं। मानसिक असंतुलन, अत्यधिक चिंता, दमित भावनाएं, त्यादा मानसिक एवं शारीरिक परिश्रम और आहार में पोषक तत्वों का अभाव ही त्वचा पर झुर्रियों के रूप में उभरता है।
जब त्वचा को अंदर तेल नहीं मिलता तो इसमें संचित चिकनाई सूखने लगती है जिससे त्वचा नई कोशिकाएं बनाने में असमर्थ हो जाती है। और पहले वाली कोशिकाएं और तंतु पुरानी और निर्जीव पड़ जाती हैें। फलतः उनकी कसावट और गीलापन समाप्त होने लगता है। हर तंतु अपने आप में सजीव होता है और स्वतंत्र रूप से काम करता है, अतः इन्हें अंदर से जितना पोषक तेल कम मिलेगा, उसी अनुपात में ये झुर्रियां त्वचा पर पड़ती जायेगी।
किशोरावस्था-
बचपन में त्वचा स्वाभाविक रूप सेे कोमल रहती है किशोरावस्था में हारमोनों की सक्रियता से शारीरिक ग्रथियों पर गहरा असर पड़ता है। तैल ग्रंथियां अत्यधिक सक्रिय हो जाती हैं। इससे त्वचा के रंध्र बंद हो जाते हैं, फलतः चेहरे पर मुंहासे निकल आते हैं। सही उपचार व सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
20 से 29 वर्ष -
किशोरावस्था के समय की अनेक विकास प्रक्रियाओं के बाद यह वह समय है जब त्वचा को सर्वाधिक कोमल एवं कांतिमय होना चाहिए लेकिन यही वह समय है जब आपको अपनी त्वचा के प्रति उदासीन नहीं होना चाहिए।
30 से 39 वर्ष-
यह वह समय है जब आपकी त्वचा लापरवाही के कारण शुष्क हो सकती है। गर्भावस्था के कारण, अत्यधिक मदिरापान के कारण, अधिक रक्तचाप के कारण व अन्य कई कारणों से गालों पर, चेहरे पर झाइयां तथा छोटी-छोटी लकीरें बन जाती हैं।
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40 से 49 वर्ष-
यह वह उम्र है जब बावजूद कोशिशों के आपकी आपकी त्वचा अपना सौदर्य तथा कांति खोने लगती है। इस समय आपके चेहरे को विभिन्न प्रकार के फेस पैकों त एस्ट्रिन्जन्ेट लोशन की आवश्यकता होती है।
50 से ऊपर-
तरूणावस्था एवं अधेड़ावस्था में आपने अपनी त्वचा की चाहे जितनी देखभाल क्यों न की हो, वृद्धावस्था त्वचा पर अपनी छाप पचास वर्ष होते होते अवश्य छोड़ने लगती है। यह समय है । जब विशेष मालिश तथा व्यायाम की आवश्यकता होती है। इससे बहुत लाभ भी होता है।
प्राकृतिक उपाय-
अपने आहार में आवश्यक तत्व भरपूर लें। विकनाई बनाए रखने के लिये भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ा देनी चाहिये। पानी खुब पीना चाहिए। सूखी त्वचा पर झूर्रियां जल्दी पड़ती है, इसलिये चेहरे की त्वचा को ज्यादा से ज्यादा चिकना बनाये रखने की कोशिश करनी चाहिए। मानसिक तनाव से दूर रहें व हाजमा ठीक रखें जिससे पोषक तत्व त्वचा को पोषक तेल प्रदान कर सके। चुस्त, सक्रिय बने रहें और व्यायाम प्रतिदिन करें ताकि शारीरिक क्रियाएं व्यवस्थित रहे। भरपूर नींद लें जिससे थके तंतुओं को पर्याप्त आराम मिलता रहे।
विटामिन बी से मानसिक तनावों से मुक्ति मिलती है । विटामिन सी तंतुओं को स्वस्थ बनाए रखता है। ये विटामिन फलों, सब्जियों और मक्खन से प्रायः मिल जाते हैं। यदि आपकी त्वचा में झुर्रियां असमय दिखने लगे तो उच्च शक्ति के विटामिन-बी कापलेक्स कैप्सूल और अच्छी प्रोटीन प्रभावकारी होती है।
झूर्रियाँ देर से पड़े इसके लिये सबसे आसान एवं अच्छा तरीका प्रतिदिन रात को साबुन से मुंह धोकर जैतून या बादाम के तेल की मालिश करें। मालिश चेहरे के साथ-साथ गर्दन पर भी अवश्य करनी चाहिये। मालिश करते साय हाथों को नीचे से ऊपर की और ले जायें।