बुजुर्ग बन सकते हैं चिर युवा


हम सदियों से चाहते रहे हैं कि चिर युवा रहें। जिनके पास सुविधाएं हैं, ताकत हैं, वे तरह-तरह के जतन भी करते हैं। बस यह भूल जाते हैं कि युवा बनना है, तो मन पर काम करना होगा, शरीर से कई गुना ज्यादा। सौ साल पूरे कर चुकी मानकौर ने मास्टर्स गेम में 20 से अधिक पदक जीते हैं। इतनी उम्र में कैसे? वह कहती हैं- उम्र सिर्फ संख्या है, असली चीज तो मन है, जिसे आप हमेशा जवान बनाए रख सकते हैं। मान बुजुर्गों के खेलों में भाग लेती हैं, पर उनके अधिकांश प्रतिद्धन्दी उनसे 25-30 साल तक छोटे होते हैं।


युवा है कौन? यकीनन वे, जिनके सपने जिंदा हैं। जो जुटे हैं, उन्हें पूरा करने में ।


ए वाइल्ड शिप चेस जैसी विश्वविख्यात किताबें लिखने वाले जापानी साहित्यकार हारूकी मुराकामी कहते हैं - अगर आपके पास उड़ने वाले पंख हैं और आपमें प्रतिभा है, तो आप हमेशा युवा हैं। जवानी का मतलब है, हमेशा अपने अंदर के उत्साह को महसूस करना और उसी के अनुसार आगे की ओर अपने कदम कढ़ाना। जो युवा हैं, उनके पास दुष्यंत कुमार का यह शेर होना चाहिए - कैसे आकाश में सूराख हो नहीं सकता/एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। उनके पास हमेशा विरोध की ताकत होनी चाहिए। जो चीजें देश-समाज के हित में नहीं, उनके खिलाफ आगे आना युवा होने का प्रमाण है। दर्शनशास्त्र और मनोविज्ञान इसी कारण तन और मन की आयु अलग-अलग होने का अस्तित्व मानता है। संस्कृत के तो एक श्लोक में कहा गया है कि भौतिक नहीं मानसिक परिपक्वता की बात होनी चाहिए। हर हाल में ऐसी परिपक्वता हासिल करना जीवन की अनिवार्यता है।