दिल्ली में आग लगने से मरने से पहले 30 वर्षीय मुशर्रफ ने बिजनौर में अपने दोस्त शोभित को फोन किया कि मैं आग में घिर जाने के कारण मरने वाला हूं। मैं अब बच नहीं सकूंगा, तुम मेरे परिवार का ध्यान रखना तथा मेरे सिर पर 5 हजार का कर्ज है, उसे भी तुम चुका देना। 5 मिनट 36 सैंकेड चली बातचीत के दौरान शोभित ने उसकी हिम्मत बढ़ाने की भी बात की किन्तु मुर्शरफ की तबियत खराब होती जा रही थी, जैसा कि शोभित को फोन पर महसूस हो रहा था। आग से घिरने पर लोग घबरा जाते हैं अतः मौत से बच नहीं पाते किन्तु यदि मुर्शरफ जैसा धैर्यशाली युवा आग से बचने का तरीका जानता तो अवश्य बच जाता।
बताते हैं कि आग से घिरने पर कमरे तथा खिड़कियों से धुआं आने के रास्ते अगर संभव हो तो गिले कपड़े से बन्द कर देने चाहिए तथा अपने मूंह पर भी गीला कपड़ा बांध लेना चाहिए ताकि धुआं शरीर में कम से कम पहुचे। धुंये में मोनोक्साइड गैस बहुत खतरनाक होती है, तथा यह बेहोश कर देती है और दम घोट देती है। आग लगने पर लोग जलने से नहीं, धुऐ के फेफड़ांे में पहुचने से सांस रूक जाने से मरते है। जितना समय मुर्शरफ को बात करने में लगा, इतने समय में वह बच भी सकता था और दूसरों को भी बचा भी सकता था, यदि वह आग लगने के बचावों को जानता। निश्चित ही शोभित भी इन उपायों को नहीं जानता था, नही तो वह अपने मित्र की जान बचा सकता था।
अतः सभी को जानना चाहिए कि आग लगने पर बचाव कैसे करें, स्कूलों में भी इसकी शिक्षा मिलनी चाहिए। सप्रग-9897278134