गोहाना। सेवानिवृत्त डीपीई (डिपार्टमेंट आफ फिसिकल एजुकेशन) धर्मबीर सांगवान एक जाने-माने एथलीट हैं। बचपन से ही दौड़ने के शौक को उन्होंने जवानी में भी बरकरार रखा और अब 80 साल की उम्र में भी वहीं जुनून बरकरार हैं। सेवानिवृत्त के बाद विभिन्न स्तर पर हुई प्रतियोगिताओं में वह 100 से अधिक पदक जीत चुके है। सांगवान युवाओं के लिए मिसाल तो बन ही रहे हैं, साथ ही बच्चों को भी खेल क्षेत्र में आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। लक्ष्मी नगर निवासी धर्मबीर सांगवान का जन्म 15 नवम्बर 1938 को हुआ था। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा गांव बुटाना स्थित जनता विद्यालय से पूरी की। स्कूली खेलों में वह कबड्डी और दौड़ में भाग लेते थे और बेहतर प्रदर्शन भी करते थे। खेल में श्रेष्ठ प्रदर्शन के आधार पर वे 1961 शिक्षा विभाग में डीपीई नियुक्त हुए। इसके बाद भी उन्होंने खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेना जारी रखा। बढ़ती उम्र के साथ उनमें खेलों के प्रति चाह कम नहीं हुई। वे मास्टर वर्ग की प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पदक जीतने रहे। सांगवान 1996 में सेवानिवृत्त हो गये थे। उनका कहना है कि खेल उनके जीवन का हिस्सा है और जब तक शरीर साथ देगा तब तक खेलते ही रहेंगे। अब वे वेटर्न प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। सौ मीटर व दो सौ मीटर की दौड़, ऊंची कूद की स्पर्धाओं में भाग लेते हैं। सांगवान अपने प्रदर्शन को जारी रखने के लिए रोजाना सेक्टर सात के मैदान में करीब चार किलोमीटर की दूरी तेज चाल से तय करते हैं इसके साथ ही करीब चार सौ मीटर की दौड़ भी रोजाना लगाते हैं। सांगवान के तीन बच्चे हैं। इनमें बेटा रविन्द्र व कविन्द्र साॅफ्टबाल व खो-खो में पदक जीते चुके हैं और खेल कोटे से ही शिक्षा विभाग में शिक्षक लगे हैं। उनकी बेटी सुमन भी खिलाड़ी रह चुकी हैं। सांगवान अब अपनी पौत्री मिलन को भी दौड़ का प्रशिक्षण दे रहे है।