आहार विज्ञानियों का कहना है कि सूखे मेवे में सिर्फ पृथ्वी तत्व की अधिकता रहती है। लेकिन अंकुरित हो जाने पर उसमें कई और तत्व बढ़ जाते हैं। इसमें पृथ्वी तत्व के साथ वायु, सूर्य और आकाश तत्व भी पूर्ण रूप से बढ़ जाते हैं। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और चिकनाई जैसे तत्व लबालब बढ़ जाते हैं। अंकुरण के बाद यह मात्र अनाज नहीं रह जाते बल्कि इसमे अन्न, फल, शाक-सब्जी तीनों की भूमिका निभाने लगते हैं। पाचन और स्वास्थ्य की दृष्टि से यह औषधि का काम करते हैं। अंकुरित अनाजों में विटामिन सी दस गुनी, इसके अलावा विटामिन-बी-2, विटामिन-बी-3, दोगुनी हो जाती है।
औषधि का काम करते हैं। अंकुरित अनाजों में विटामिन सी दस गुनी, इसके अलावा विटामिन-बी-2, विटामिन-बी-3, दोगुनी हो जाती है।
इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए प्रचुर मात्रा में होता है। अंकुरित बीजों में इंसुलिन जैसे रसायन अपनी प्राकृतिक अवस्था में पाए जाते हैं। इसलिए यह मधुमेह रोगियों के उपचार के लिए दवा का काम करती है। अंकुरित होने पर दलहनों में होने वाले कुछ हानिकारक तत्वों का नाश हो जाता है, जिससे अंकुरित
आहार विषमुक्त हो जाता है।
मेथी एवं सोयाबीन जैसे बीजों को अंकुरित कर लेने पर उन की गुणवत्ता तो बढ़ जाती है साथ में उनका कसैलापन भी कम हो जाता है। अंकुरित मेथी दाना मधुमेह और वात के ददों में विशेष लाभ होता है। अंकुरित अनाज छोटे-बड़े, बच्चों, युवाओं, वृद्धों एवं महिलाओं सभी को समान रूप से लाभ देता है। इसमें अंकुरित करने वाले अनाजों में प्रमुख हैं तिल, गेहूं, मूंग, मोठ, चना, लोबिया, सोयाबीन, मूंगफली, मेथी आदि शामिल हैं। अंकुरित अनाजों का नाश्ता करना काफी फायदेमंद रहा है, वैसे कभी भी खाया जा सकता है। अंकुरित अन्न को सुबह अच्छे से धोकर खाना चाहिए। जो लोग रोजाना कच्चा नहीं खाना पसंद करते वह हल्की सी भाप में पकाकर भी खा सकते हैं।
-डा0 रमेश चन्द बंसल, आयुर्वेदाचार्य
(प्रस्तुति-संजय कुमार गर्ग)